अध्याय २१


२ मई.

हर प्रकार के मीडिया में दो समाचार दिन की ब्रेकिंग न्यूज बने:

पहली ब्रेकिंग न्यूज: "ग्रह के नौ देशों पर सबसे खराब प्रलय की मार: एक सरासर संयोग या भगवान का जान-बूझकर किया हुआ कारनामा?"

दूसरी ब्रेकिंग न्यूज़: "बर्थ ग्रह के कई सबसे शक्तिशाली राजनीतिक और कॉर्पोरेट धुरंधर एक ही समय में पतली हवा में गायब हुए"

ग्रह बर्थ के १३८ देशों में से प्रत्येक के प्रत्येक समाचार पत्र, टेलीविजन पर प्रत्येक समाचार चैनल और प्रत्येक रेडियो स्टेशन वाकई पगला गए.

ब्रेकिंग न्यूज ने सभी अखबारों और टैब्लॉइडों के सभी पन्नों को भर दिया. वे हर दो घंटे में समाचार के अपडेट्स को प्रिंट कर रहे थे. टेलीविजन के सभी समाचार चैनल दिन के सभी २४ घंटे विस्फोटक समाचार आइटम प्रसारित कर रहे थे. रेडियो के सभी स्टेशन दिन और रात इसे लगातार प्रसारित कर रहे थे.

यहाँ तक कि जिन लोगों को समाचारों से नफरत थी, वे भी आज की खबरों को बहुत दिलचस्पी से पढ़ रहे थे और देख रहे थे.

गलियों, दफ्तरों और घरों में लोगों के पास एक-दूसरे के साथ आदान-प्रदान करने के लिए सिर्फ एक विषय था. ट्रेनों, बसों और हवाई जहाजों में यात्रियों के पास केवल एक ही विषय था.

संपूर्ण ग्रह बर्थ पर एक रहस्यमय वातावरण विकसित होकर बुरी तरह से छा गया था. राजनीतिक, कूटनीतिक और व्यापार संबंधी गतिविधियाँ लगभग हर देश में अचानक और पूर्णतः बंद हो गईं. उस दिन युद्ध और आतंकवादी गतिविधियाँ भी पूरी तरह से रुक गईं- एक भी घटना नहीं हुई. प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आए नौ देशों में, स्वयंसेवकों ने बचाव कार्य शुरू किया.

इसके पहले कि दषस्थान, चिनहट, सेहर, बिगलैंड, उनान और पाशान की संबंधित आधिकारिक एजेंसियाँ उनके खोज और तलाशी अभियान को पूरा करके उनके सबसे शीर्ष और महत्वपूर्ण व्यक्तियों की इस तरह पूर्णतः लापता होने की घोषणा करती, सब तरह के मीडिया वालों ने इस खबर की पहले ही पुष्टि कर दी. ब्रेकिंग न्यूज गुमशुदा व्यक्तियों की पत्नियों और परिवारों तक बहुत पहले पहुँच गई. सरकारी गोपनीयता विभागों और सुरक्षा सेवाओं के माध्यम से इन वारदातों की जानकारी उन तक बहुत देर से पहुँची.

आधिकारिक सरकारी एजेंसियाँ और लापता शीर्ष पदाधिकारियों के निकटतम मातहत दुविधा में थे कि क्या इन वारदातों की पुष्टि की जाए या नहीं. लेकिन मीडिया द्वारा समाचारों की निरंतर बमबारी ने उन्हें यह पुष्टि करने के लिए मजबूर कर दिया कि सारे लापता महानुभाव पिछले दिन की शाम से गायब थे और व्यापक एवं सतर्क तलाशी अभियान के बावजूद वे ट्रेस नहीं हो पा रहे थे. अत्यधिक सार्वजनिक दबाव ने भी उन्हें सच उगलने के लिए मजबूर कर दिया था.

मीडिया ने लापता व्यक्तियों के नाम और संबंधित विवरण प्रकाशित करना शुरू कर दिया. अधिकांश प्रकाशित सूचियाँ अपूर्ण थीं, आधी-अधूरी थीं. संबंधित देशों के स्थानीय मीडिया के पास सभी लापता व्यक्तियों के नाम नहीं थे. उस दिन दोपहर तक, एक या दो अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियाँ एक सूची जुटा पाईं जो उनके दावे के मुताबिक़ करीब-करीब सम्पूर्ण थीं.

उस सूची में निम्नलिखित नाम, उनके पद और उनकी राष्ट्रीयताएँ शामिल थीं:

मिस्टर झिनतुन- प्रधान मंत्री, चिनहट (बर्थ का पश्चिमी गोलार्ध)
मिस्टर लोभीलाल- प्रधान मंत्री, दषस्थान (बर्थ का पश्चिमी गोलार्ध)
दषस्थान के सशस्त्र बलों के प्रमुख- जो सीधे मिस्टर लोभीलाल को रिपोर्ट करते हैं
मिस्टर हयान- पाशान के प्रधान मंत्री (बर्थ के पश्चिमी गोलार्ध में स्थित दषस्थान का पड़ोसी देश)
मिस्टर डरपोक- न्यूप्लेस के अध्यक्ष (दषस्थान का दूसरा पड़ोसी देश)
मिस्टर मारामार- सेहर के बादशाह (बर्थ के मध्य भाग में स्थित)
मिस्टर शरीफयार- सेहर के सशस्त्र बलों के प्रमुख
मिस्टर ज़हीन- सेहर के बादशाह मारामार के मुख्य वित्तीय और युद्ध रणनीतिकार
मिस्टर करप्टकिन- उनान के अध्यक्ष (बर्थ का पूर्वी गोलार्ध)
मिस्टर हार्डनट्स- उनान के यूनिवर्सल केमिकल्स के सीईओ
मिस्टर गुशनेल- बिगलैंड के अध्यक्ष (बर्थ का पूर्वी गोलार्ध)

सूची के अंत में एक नोट में उल्लेख किया गया कि दो और शीर्ष व्यक्ति, जुड़वाँ भाई मर्सिलीज और विली, जो कि उनान की टेक्नोविज कंपनी के सीईओ हैं, कई महीनों से गायब रहे हैं और अभी भी अप्राप्य हैं.

आज का दिन हर किसी के लिये, विशेष रूप से राजनीतिक विश्लेषकों, पत्रकारों, स्तंभकारों, समाचार संपादकों, आर्थिक विशेषज्ञों, व्यवसाय विश्लेषकों, संवाददाताओं, ब्लॉगर्स, टिप्पणीकारों, धार्मिक पंडितों, सोशल मीडिया गॉसिपर्स, सड़कों पर चल रहे लोगों और ऐसे हर क्षेत्र के लोगों के लिए असीम रोमांचक दिवस साबित हुआ.

विविध प्रकार के समाचार, टिप्पणियाँ, विश्लेषण और गपशप पूरे वातावरण में गूंज उठे. परिदृश्य एक मिश्रित भावनाओं का पिटारा बन गया था- रहस्यमय, गूढ़, रोमांचक, भयानक, मनभावन, अंधविश्वासी, धार्मिक आदि. कुछ तर्कवादी इस सब के पीछे तर्क खोजने की कोशिश कर रहे थे.

सोशल मीडिया पर टिप्पणियाँ इस तरह से चल पड़ीं (अधिकांश टिप्पणियाँ गायब हुए लोगों के व्यंग-चित्रों के साथ थीं):

“कौन पतली हवा में गायब हो गए? हमारे ग्रह के सबसे बड़े बदमाश!! तो फिर ऐसा शोर-शराबा क्यों? किसे पड़ी है? लोगों, आनंद लो!!”

"न्याय में कभी देर नहीं होती. ईश्वर अंततः बुराई को दंडित करता ही है.”

“ऐसे अपराधियों के लिए उनका गायब हो जाना पर्याप्त नहीं है. इन गधों को गधों पर बैठना चाहिए, एक गधे पर एक. उनके चेहरे पर कालिख पोतनी चाहिए. उन्हें गधों पर उल्टा बिठाना चाहिए ताकि उनका चेहरा गधे की पूँछ को देखे. फिर पूरे ग्रह के सभी शहरों में उनकी परेड निकाली जाए. दर्शकों को उन्हें तिरस्कारित करके धिक्कारने की अनुमति दी जाए.”

“युद्ध और आतंक: वे एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. सूची में उन दुष्टों को शामिल किया गया है जिन्होंने दोनों को बढ़ावा दिया. इन सभी को सजा दो.”

“गायब होने वाले लोग हमारे ग्रह के मुख्य अपराधी थे- सभी प्रकार के युद्धों और आतंकों की कल्पना करने वाले, बढ़ावा देने वाले, आयोजित करने वाले और अंजाम देने वाले- जिनकी वजह से लाखों लोग मारे गए. बरसों से छोटे-मोटे अपराधियों को सलाखों के पीछे डाला जाता था. अब अपराध के इन कुप्रसिद्ध आकाओं को हजार गुना अधिक कठोर दंड देने का समय आ गया है. उन्हें ढूंढ कर पकड़ो और तब तक फाँसी पर लटकाओ जब तक वे मर नहीं जाते. आशा है कि युद्धों और आतंक का अंत होगा.”

"यह कोई संयोग नहीं है कि इतने बड़े पैमाने पर इन नालायकों के गायब होने से पहले, पूरे ग्रह को ईश्वरीय दंड से शापित  किया गया. बहुत से स्थानों पर विशेष रूप से जिन देशों में ये जोकर रहते थे वहाँ विशाल अनुपात में प्राकृतिक आपदाओं ने जन-जीवन छिन्न-भिन्न कर दिया. ईश्वर हमें चेतावनी दे रहे हैं: युद्धों को रोको, आतंक को रोको और सभी अन्य  बकवास को रोको अन्यथा पूरे ग्रह पर क़यामत आ जाएगी, सारा ग्रह बर्बाद हो जाएगा.”

"क्या यह संयोग है कि गायब होने की वारदात और तबाही की आपदा एक ही दिन हुई? या इसका कोई ख़ास गंभीर महत्व है? और केवल उन्हीं देशों में तबाही हो रही है, जहाँ युद्ध हो रहे हैं और जहाँ भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर है- क्या यह भी खालिस कोरा संयोग था या ग्रह पर हो रही बकवास कारस्थानों को रोकने के लिए भगवान की चेतावनी?”

एक धार्मिक और आध्यात्मिक पंडित ने ऊपर लिखित दो टिप्पणियों में व्यक्त भावनाओं को विस्तार के साथ निम्नलिखित ब्लॉग में लिखा:

"यह किसने किया? भगवान ने किया. एक सुपरमैन या स्पाइडरमैन भी एक ही समय में ग्रह के सबसे शक्तिशाली जानवरों के अपहरण या लापता होने का काम पूरा नहीं कर सकता है- यह किसी भी इंसान का काम नहीं है. यह एक संयोग नहीं हो सकता है कि ग्रह के विभिन्न हिस्सों में एक ही समय में कुछ अलौकिक चीजें हुईं. मुझे याद है कि रात भयानक थी. अधिकांश देशों में आसमान में बादल छाए हुए थे. बिजलियाँ गरज के साथ कड़क रही थीं. और फिर बिगलैंड के कुछ शहरों ने एमएम ८ की तीव्रता और रिक्टर पैमाने पर ७.५ मात्रा के एक घातक भूकंप का अनुभव किया. चिनहट में स्थित ग्रह का सबसे बड़ा ज्वालामुखी कल रात सबसे खतरनाक तरीके से फिर से फट गया. दषस्थान में उन इलाकों में सबसे ज्यादा बर्फबारी हुई है जहाँ पिछली कई शताब्दियों में कभी बर्फ नहीं गिरी थी. सेहर में तेल के कुछ कुओं में रहस्यमय तरीके से आग लग गई और सेहर से सैकड़ों मील दूर से उठती लपटों को देखा जा सकता है. दशक की सबसे खराब सुनामी ने उनान और न्यूप्लेस को झकझोर दिया. पाशान में बेतहाशा बारिश हुई और बाढ़ ने सभी फसलों को नष्ट करके अकाल की संभावनाओं को बढ़ा दिया है. इसोनिया और कासबान में- ग्रह के मध्य भाग के दो देशों में- एक बहुत बड़े आकार की उल्का ने उस पवित्र शहर की जमीन पर हमला किया, जिस पर ये दोनों देश अपने स्वामित्व का दावा कर रहे हैं और आपस में लड़ रहे हैं.

भगवान ने हमारे ग्रह के सबसे भ्रष्ट और सबसे क्रूर लोगों को गायब कर दिया. यह वारदात दूसरों को, विशेष रूप से उनके तत्काल डेप्यूटीज को और ऐसे उन भयावह चरित्र के अन्य व्यक्तियों को कड़ी चेतावनी है कि वे युद्धों, आतंकवादी कार्यों, भ्रष्टाचार और मानव शोषण से दूर रहें. यह चेतावनी तबाही के विभिन्न रूपों में आई है.”

यह ब्लॉग वायरल हो गया और ग्रह के लाखों-करोड़ों निवासियों ने इसे कुछ ही मिनटों में पढ़ डाला. वे इससे बहुत प्रभावित हुए. ब्लॉगर ने जो लिखा उस पर बड़ी संख्या में पाठकों ने विश्वास किया.

जल्द ही टीवी चैनलों, रेडियो स्टेशनों और समाचार पत्रों ने मुख्य कहानी पर कई अपडेट जारी करना शुरू कर दिए. लापता व्यक्तियों की खबरों के अपडेट की परिचयात्मक टिप्पणी में एक ख़ास विषय को लगातार रिले किया जा रहा था. यह दावा किया जा रहा था कि वे इन अपडेट को उन ऑडियो और वीडियो क्लिपों के आधार पर प्रसारित कर रहे हैं जिन्हें वे लगातार डिजिटल स्वरूप में किसी ऐसे व्यक्ति से प्राप्त कर रहे हैं जिसे वे नहीं जानते हैं.

पूरी सामग्री याने सारी ऑडियो और वीडियो क्लिपों को बिना काँट-छाट या बदलाव के उनके मूल रूप में प्रसारित किया जा रहा था क्योंकि वे बहुत प्रामाणिक प्रतीत हो रही थीं. उनके साथ किसी तरह की छेड़-छाड़ करने या उन्हें संपादित करने का कोई तरीका नहीं था. डिजिटल ऑडियो और वीडियो संदेश बहुत सुरक्षित रूप से एन्क्रिप्ट किए गए थे और उनके साथ अद्वितीय डिक्रिप्टिंग सॉफ्टवेयर भी थे. मीडिया ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि वे कुछ अज्ञात स्थानों और अज्ञात स्रोतों से सूचनाएँ प्राप्त कर रहे थे. उनके प्राप्त करने का स्थल और स्रोत वे उनके सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद पा नहीं सके.

अमर, विक्टर, आदर्श और शक्ति यह सुनकर काफी संतुष्ट और खुश हुए. वे पृष्ठभूमि में बने रहना चाहते थे और अपने काम को गुमनाम रूप से कर रहे थे.

अपडेट्स को पूरे बर्थ ग्रह पर लोगों द्वारा अधिकतम रुचि और ध्यान से देखा या सुना गया. दिखाई और सुनाई  देने वाली सामग्री धक्कादायक तो थी ही और स्पष्ट रूप से खबरों का खुलासा भी कर रही थी. ग्रह की ९९% क्लब की समूची आम जनता को १% क्लब के उनके तथाकथित नेताओं के सबसे जघन्य कुकर्मों को सुनने और देखने के बाद बहुत बड़ा धक्का लगा.

दिन के अंत में आम जनता के मन में एक ही भावना उभर रही थी: "ये लोग तो आम लोगों की तुलना में बहुत ही खराब हैं. एकदम निकृष्ट किस्म के लोग हैं ये ऊँचे लोग."

आम लोगों और विभिन्न विशेषज्ञों की मौखिक और लिखित प्रतिक्रियाओं के अलावा, कई विस्फोटक समाचार आइटमों के परिणाम स्वरुप, ग्रह के विभिन्न हिस्सों से, विशेष रूप से उन देशों से हिंसक शारीरिक प्रतिक्रियाएँ भी दर्ज की गईं, जहाँ बड़े-बड़े धुरंधर व्यक्तियों के लुप्त होने की वारदातें हुई थी. वहाँ सड़कों पर प्रदर्शन भी हुए. राजनेताओं के कार्यालयों और घरों पर हमला किया गया. जिन लोगों को युद्धों का समर्थन करते हुए पाया गया था, उन्हें पीटा गया.

दषस्थान में लोभीलाल के समर्थकों और प्रशंसकों में एक वायरल वीडियो देखने के बाद अत्यंत निराशा छा गई. वे लोग लोभीलाल की सराहना करते थकते नहीं थे क्योंकि लोभीलाल की बहुप्रचारित छवि के अनुसार ऐसा समझा जाता था कि प्रधानमंत्री होने के बावजूद वह एक साधारण जीवन जीने वाला आम आदमी जैसा व्यक्ति है. परन्तु हाल ही में विभिन्न टीवी चैनलों ने एक वीडियो क्लिप का प्रसारण किया जिसमें लोभीलाल के रिटायरमेंट होम याने उसकी कुटिया या झोपड़ी के चकाचौंध कर देने वाले अंदरूनी भाग को अच्छी तरह से दिखाया गया था. झोंपड़ी की भव्यता- विशेष रूप से सोने और कीमती पत्थरों के गहने, हजारों कपडे और लोभीलाल की पत्नी के असंख्य जूते आदि- ने लोभीलाल के इर्द-गिर्द बुने गए मिथक को चकनाचूर कर दिया. इस वीडियो को देखने के पहले सभी लोग सोचते थे कि लोभीलाल वास्तव में अपने रिटायरमेंट के बाद उन सब की तरह ही बहुत सादा जीवन व्यतीत करेंगे. किन्तु सच कुछ और ही था.

वे उन खबरों को सुनकर भी स्तब्ध और हैरान थे, जिन्होंने उन्हें यह सूचित किया कि कैसे लोभीलाल और उसके सशस्त्र बलों के प्रमुख उनके अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए हमेशा अपने देश का सौदा करने के लिए तैयार थे और अपने देशवासियों को युद्धों में फेंकने के लिए हिचकिचाते नहीं थे. इस जानकारी ने जनता को सीमा से परे नाराज कर दिया. एक बड़ी भीड़ ने लोभीलाल की कुटिया पर हमला किया, उसके खिलाफ नारे लगाए और झोपड़ी को आग लगा दी.

बहुत बड़ी संख्या में सेहर के निवासी बादशाह की हवेली के सामने वाले विशाल चौक में एकत्रित हुए. उन्होंने बादशाह और उनके दो सहयोगियों शरीफयार और ज़हीन के खिलाफ नाराज़गी जताते हुए नारे लगाए. एक स्वयंभू नेता ने भीड़ को संबोधित किया, “हमने अपने सबक सीख लिए हैं. कभी भी अपने देश के प्रमुख के रूप में एक बादशाह या एक कट्टरपंथी को स्वीकार न करें. हमें एक खुले विचारों वाले, शिक्षित और सुधार लाने वाले नेता की जरूरत है जो शांति स्थापित करने और युद्धों को रोकने में विश्वास रखता हो.”

चिनहट में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए एक विशाल आंदोलन शुरू हुआ. चिनहट में भी हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों में तोड़फोड़ की गई. चिनहट के लोगों ने उनके प्रधानमंत्री झिनतुन के पुतले जलाए.

बिगलैंड के लोगों ने अपने देश की भागीदारी में शुरू होने वाले और पहले से चल रहे युद्धों के खिलाफ अपनी तीव्र भावनाएँ व्यक्त कीं. शांति का समर्थन करने वाले और किन्ही भी तरह के युद्धों का विरोध करने वाले विभिन्न एनजीओ फिर से मुखर हो गए. उनकी सर्वसम्मति इस प्रकार की थी:

“ग्रह के अग्रणी देशों के और अन्य सभी देशों के प्रमुखों को बर्थ पर पूर्ण शांति लाने की दिशा में काम करना चाहिए. यह उनकी प्राथमिक जवाबदारी है. युद्धों को शुरू करना और लड़ना उनका काम नहीं है. अभी ऐसा महसूस होता है कि वे सोचतें हैं कि उनका मुख्य काम युद्धों की योजना बनाना और उन्हें क्रियान्वित करना है. इस तरह की सोच बिलकुल निंदनीय है. मौलिक मानसिकता में आमूल परिवर्तन की आवश्यकता है.”

उनान में युद्ध का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं ने कई उन कंपनियों के कार्यालयों पर हमला किया, जिन्होंने हथियार और संबंधित उत्पाद जैसे युद्ध के जहाज, लड़ाकू हवाई जहाज आदि डिझाइन किए और बेचे थे. वे यह जानकर हैरान थे कि उनके देश का राष्ट्रपति ग्रह पर युद्ध-सामग्री की बिक्री को बढ़ावा दे रहा था.

कुल मिलाकर एक ऐसा चित्र प्रस्तुत हो रहा था जिसमे ग्रह के अधिकतर देशों के लोग भावुकता के जोश में आकर अपने दिलों और दिमागों की भड़ास निकाल रहे थे.
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